संग तेरे.. संग तेरे.. संग तेरे नैना..
कभी राह बनू
कभी चाह बनू
कभी पनाह बनू
संग तेरे नैना..
कभी नजर बनू
कभी फिकर बनू
कभी जीकर बनू
संग तेरे नैना..
संग तेरे.. संग तेरे.. संग तेरे नैना..
कभी कभी रुक जाऊ
कभी कभी झुक जाऊ
कभी कभी भूलू जहान सारा…
कभी कभी खो जाऊ
कभी कभी सो जाऊ
कभी कभी देखू ख्वाब प्यारा…
संग तेरे.. संग तेरे.. संग तेरे नैना..
कभी सवाल बनू
कभी जवाब बनू
कभी राज बनू
संग तेरे नैना..
कभी इनकार बनू
कभी इकरार बनू
कभी इजहार बनू
संग तेरे नैना..
संग तेरे.. संग तेरे.. संग तेरे नैना..
कभी कभी रूठ जाऊ
कभी कभी टूट जाऊ
कभी कभी हो जाऊ मुख़्तसर…
कभी कभी जाग जाऊ
कभी कभी भीग जाऊ
कभी कभी रोऊ रातभर…
संग तेरे.. संग तेरे.. संग तेरे नैना..
कभी ऐतबार बनू
कभी प्यार बनू
कभी इंतेजार बनू
संग तेरे नैना..
संग तेरे.. संग तेरे.. संग तेरे नैना..
beautifully expressed.
Kamal hai! Bahut acha likha hai Pratik. Full fleged poet ban ja. Happy blogging 🙂