काश अपनी भी एक झारा हो

एक अंजान पहेली जैसी हो सहेली जिसका मै ए…
शब्दांचा निरंतर प्रवास
शब्दांचा निरंतर प्रवास
एक अंजान पहेली जैसी हो सहेली जिसका मै ए…
लक्ष्य तेरा दूर है रास्ता भी है कठिन तू…
संग तेरे.. संग तेरे.. संग तेरे नैना.. क…
नैना मे कभी शरारत तो नैना मे कभी तक्रार…
न मिलना मुझसे कभीके तेरे मेरे दरमियाँ ऐ…
कुछ रहा ना तेरे मेरे दरमियाँफिर ये फासल…