हिंदी कविता

काश अपनी भी एक झारा हो

Kash-apani-bhi-ek-zaara-ho

एक अंजान पहेली जैसी हो सहेली जिसका मै एक साहीर काश अपनी भी एक झारा हो और मै उसका वीर नैना ही बयाँ कर दे सारे जज्बात न करनी पड़े मोहब्बत जाहीर काश अपनी भी एक झारा हो और मै…

पुढे वाचाकाश अपनी भी एक झारा हो

खुद पे कर ले तू यकीन तो

khud-pe-kar-le-tu-yakin-to

लक्ष्य तेरा दूर है रास्ता भी है कठिन तू रुका है राह में कही तुझसे बंधी कोई जंजीर है पर खुद पे कर ले तू यकीन तो टूट रही हर जंजीर है रोशनी की है कमी अंधेरो की जीत है…

पुढे वाचाखुद पे कर ले तू यकीन तो

संग तेरे नैना

sang-tere-naina

संग तेरे.. संग तेरे.. संग तेरे नैना.. कभी राह बनू कभी चाह बनू कभी पनाह बनू संग तेरे नैना.. कभी नजर बनू कभी फिकर बनू कभी जीकर बनू संग तेरे नैना.. संग तेरे.. संग तेरे.. संग तेरे नैना.. कभी कभी…

पुढे वाचासंग तेरे नैना

नैना

naina

नैना मे कभी शरारत तो नैना मे कभी तक्रार है नैना मे कभी टुटी उम्मीद तो नैना मे कभी सपने बेशुमार है नैना मे कभी नजाकत तो नैना मे कभी करार है नैना मे कभी बहार तो नैना मे कभी…

पुढे वाचानैना

न मिलना मुझसे कभी

na-milna-mujhse-kabhi

न मिलना मुझसे कभीके तेरे मेरे दरमियाँ ऐसी दुरी रहे न होना रूबरू मुझसे कभीके तेरे मेरे दरमियाँ ऐसी मज़बूरी रहे न चाहू मै तेरा कभी दिदार होमै तुझे देखू और फिरसे मुझे प्यार हो

पुढे वाचान मिलना मुझसे कभी

कुछ रहा ना तेरे मेरे दरमियाँ

kuch-raha-na

कुछ रहा ना तेरे मेरे दरमियाँफिर ये फासले नज़र क्यों नहीं आते कुछ रहा ना तेरे मेरे दरमियाँफिर साथ बिताये लम्हे यादों से गुज़र क्यों नहीं जाते कुछ रहा ना तेरे मेरे दरमियाँफिर क्यों लगे दूरियों में भी नझदिकी है…

पुढे वाचाकुछ रहा ना तेरे मेरे दरमियाँ