नैना मे कभी शरारत
तो नैना मे कभी तक्रार है
नैना मे कभी टुटी उम्मीद
तो नैना मे कभी सपने बेशुमार है
नैना मे कभी नजाकत
तो नैना मे कभी करार है
नैना मे कभी बहार
तो नैना मे कभी बारीश की फुआंर है
नैना मे कभी इनकार
तो नैना मे कभी इझहार है
नैना मे कभी नफरत
तो नैना मे कभी प्यार है
जो रूठे कभी ऐसे खुबसुरत नैना
तो उसमे दोस्ती की हार है