khud-pe-kar-le-tu-yakin-to

खुद पे कर ले तू यकीन तो

लक्ष्य तेरा दूर है
रास्ता भी है कठिन
तू रुका है राह में कही
तुझसे बंधी कोई जंजीर है
पर खुद पे कर ले तू यकीन तो टूट रही हर जंजीर है

रोशनी की है कमी
अंधेरो की जीत है
खो गयी तुझसे सुबह कही
सामने तेरे रात की तस्वीर है
पर खुद पे कर ले तू यकीन तो बदल रही हर तस्वीर है

किस्मत तेरी तुझसे खफा
मंजिल से तू दूर है
सोचे तू न मिलता मुकाम
जिसकी हाथ पर ना लकीर है
पर खुद पे कर ले तू यकीन तो हाथ पे बन रही नई लकीर  है

मायूस तू हो रहा
कोस रहा भगवान को
मांग रहा तू हर पल
उससे अच्छी एक तकदीर है
पर खुद पे कर ले तू यकीन तो तुझसे ही तेरी तकदीर है

हौसले सारे है पस्त
बुजदिली का साथ है
छोड़ कर उम्मीद सारी
हारने को तू अधीर है
पर खुद पे कर ले तू यकीन तो तुझमे भी छुपा एक वीर है

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प्रतिक अक्कावार

शब्दांची भावना आणि विचारांशी सांगड घालून शाब्दिक कलाकृती निर्माण करणारा असाच एक.

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