Kash-apani-bhi-ek-zaara-ho

काश अपनी भी एक झारा हो

एक अंजान पहेली जैसी हो सहेली
जिसका मै एक साहीर
काश अपनी भी एक झारा हो और मै उसका वीर

नैना ही बयाँ कर दे सारे जज्बात
न करनी पड़े मोहब्बत जाहीर
काश अपनी भी एक झारा हो और मै उसका वीर

एक साथ दिल धडके दोनों के
दिल में बसी हो एक दूजे की तस्वीर
काश अपनी भी एक झारा हो और मै उसका वीर

राहे ले जाए कितनी भी दूर
बस एक दूसरे से जुडी हो तक़दीर
काश अपनी भी एक झारा हो और मै उसका वीर

इतनी हसीन हो मोहब्बत
सबकुछ लुटाने को जी चाहे उसके खातीर
काश अपनी भी एक झारा हो और मै उसका वीर

Nishabd-Logo
प्रतिक अक्कावार

शब्दांची भावना आणि विचारांशी सांगड घालून शाब्दिक कलाकृती निर्माण करणारा असाच एक.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *